रविवार, 19 अप्रैल 2009

अर्थ-अनर्थ

"जेहाद" जिसका अर्थ है धर्म -उध्ह लेकिन आज जेहाद के मायने बदल गये है जेहाद का मतलब अब महज खून की नदिया बहाना हो गया है जो हाथ पहले काफिरों का खून बहाते थे आज वही अपने भाइयो का भी खून बहाने से नही हिचकते वह भी जेहाद की आण में आज का आम मुसलमान यह तय नही कर पा रहा कि जेहाद का मतलब क्या होता है क्या ये सही है या गलत ?
इसी तरह कुछ और शब्द है जिनके मायने बदल गये है जैसे "कट्टर " कोई हिंदू अगर आर एस एस का सदस्य हो जाता है तो उसे कट्टर हिंदू के नाम से नवाज़ दिया जाता है ठीक उसी तरह कोई मुसलमान पाचों वक्त नमाज़ अता करे ,खुदा कि इबादत करे तो उसे कट्टर मुसलमान कह दिया जाता है
यहा कट्टरता का अर्थ पूरी तरह से उल्टा करके रख दिया गया है ,कट्टरता का अर्थ है अपने धर्म ,मजहब को पूरी तरह से मानना और उस पर अम्ल करना किस धर्म में लिखा है कि दुसरे धर्मो की बुराई करो उन्हें नीचा दिखाओ और आज जो लोग ऐसा करते है उन्हें ही कट्टर कहा जाता है चाहे वो हिंदू हो या मुसलमान
इसी कड़ी में आता है एक शब्द "नेता " जिसका अर्थ है है जननायक जो जनता की आवाज़ बुलंद करता हो जो आम जन के बीच से निकला हो जिसने आम जनता की दुस्वारिया झेली हो जैसे हमारे नेताजी सुभास चन्द्र बोस और अब पन्ना उलटते है तो पाते है कुछ नाम जिन्हें सारा देश जनता है उनका जनता से कितना जुडाव है सबको पता है फ़िर भी चुनना है क्योकि लोकतंत्र है तो जो सबसे कम बुरा हों उसी को चुन लो ; सबके मन में चोर है सब सत्ता के लोभी है और क्यों न हो राजनीती आज व्यापार बन चुकी है एक करोड़ लगाये है पाच साल में दस करोड़ कमाना है बस यही मकसद है जनता जाए भांड में राजनीती अब राजनीती न रहकर व्यापार नित बन चुकी है इस शब्द के मायने भी बदल चुके है रही बात नेताजी की तो इसका अर्थ कभी आम जनता से पूछिये वो आपको इनकी विशेषता के पहाड बता देगा
और कुछ तो यहाँ तक कहते नजर आते है की
( नेता वाही जो ताने रहे ,सुरा सुन्दरी भंग छाने रहे)

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