मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

आधुनिक रियासत के नए दीवान

 मुंशी प्रेमचंद की लिखित एक कहानी पढ़ी थी "रियासत का दीवान" जिसमे सतिया राज्य के राजा के यहाँ अँगरेज़ शासन का प्रतिनिधि का आगमन तय होता है तो राजा अपने दीवान को आदेश देता है की सारे नगर को सुन्दरता से सजा दिया जाय ताकि साहब  को सब  कुछ  अच्छा लगे और यहाँ की व्यवस्था का गुडगान करते हुए वे अलविदा ले |
कुछ इस तरह का प्रयोजन आज भी इस स्वतंत्र भारत में दिख रहा है जब भी कोई शीर्ष मंत्री या राजनेता किसी शहर या गाँव के दौरे पर आते है तो वहा"कार्य प्रगति पर है" का बोर्ड टंग जाता है जो सड़क महीनो में भी पूरी होती नहीं दिखाती वो रातोरात बना दी जाती है ताकि साहब को सब कुछ अच्छा लगे पिछली  बार  पूर्वांचल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में नज़ारा काफी नजदीक से देखने को मिला था जब राज्यपाल महोदय का आगमन होना था रात दिन एक करके सड़क का निर्माण करा दिया गया और राज्यपाल के लौटने  के बाद से ही उनमे दरारे आनी शुरू हो  गयी यही सिलसिला आज फिर देखने को मिल रहा है मुख्यमंत्री के आगामी दौरे को लेकर बनारस में काफी भागमभाग मची हुई है रोड दुरुस्त किये जा रहे है डीवाईडरो को फिर से रंग रोगन करके उन्हें चमकाया जा रहा है ताकि मैडम की नज़र उन गंदगियो पर न पड़े जिनसे आम लोग गुजरते है सवाल यह है की क्या ये सत्तानशी लोग या बड़े अतिथिगड़ ये सब नहीं जानते और जानते है तो क्यों मौनव्रत धारण किये हुए है कहने को तो भारत को आज़ाद हुए साठ साल से ज्यादा बीत चुके है लेकिन कमोबेश स्थितिया बद से बदतर होती चली जा रही है तब से आज में फर्क बस इतना ही है की  आज हम १५ अगस्त २६ जनवरी को बड़ी शान से मानते है तब नहीं नही कर पाते थे क्योकि  तब हम गुलाम थे और ये खास दिन आम दिनों की तरह ही बीत जाती थी पहले आम जन अंग्रेजो की गुलामी करते थे और आज अपने ही देश के लोगो की|      पुलिस  की लाल पगड़ी का खौफ तब भी था  और आज भी आम लोगो में बरक़रार है ये बात और है की पगड़ी का रंग बदल गया है लेकिन स्वभाव वही है तब पुलिस अंग्रेजो के हाथ की कठपुतली थी जिसका इस्तेमाल वे आमलोगों पर अपना शिकंजा कसने के लिये करते थे और आज सत्ता में बैठे नेताओ के हाथ में जिसका वे मनचाहा इस्तेमाल किया करते है
रही मासूम राजा का लिखा गीत याद आता है
मुंह की बाट सुने हर कोय,दिल के दर्द न जाने कौन
आवाजों के बाजारों में ख़ामोशी पहचाने कौन
सवाल बड़ा है आखिर कब तक हम गुलाम बने रहेगे ?कोई तो जवाब दो